डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 3.0: 1.30 करोड़ प्रमाणपत्रों के साथ ऐतिहासिक उपलब्धि

नई दिल्ली: पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) अभियान 3.0 को बड़ी सफलता के साथ संपन्न किया है। इस अभियान में लगभग 1.30 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) बनाए गए, जो पेंशनभोगियों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

मुख्य उपलब्धियां:

  • फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का उपयोग:
    इस तकनीक ने 39 लाख प्रमाणपत्र उत्पन्न किए, जो कुल प्रमाणपत्रों का 30% है। यह पिछले अभियान डीएलसी 2.0 से 200 गुना वृद्धि दर्शाता है।
    • यह तकनीक विशेष रूप से उन पेंशनभोगियों के लिए उपयोगी रही, जिनके उंगलियों के निशान धुंधले हो चुके हैं, दिव्यांग हैं या दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं।
  • बुजुर्गों पर विशेष ध्यान:
    80 वर्ष और उससे अधिक आयु के पेंशनभोगियों द्वारा 8 लाख से अधिक डीएलसी जमा किए गए।
  • देशव्यापी कवरेज:
    19 बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), और अन्य विभागों ने अभियान में भाग लिया।
    • 1845 शिविर: 800 से अधिक शहरों और जिलों में लगाए गए।
    • 1.8 लाख डाकिए: पेंशनभोगियों की सहायता के लिए तैनात।
  • भौगोलिक योगदान:
    महाराष्ट्र (20 लाख), तमिलनाडु (13 लाख), उत्तर प्रदेश (11 लाख), और पश्चिम बंगाल (10 लाख) जैसे राज्यों ने सबसे अधिक डीएलसी संसाधित किए।

विशेष योगदान:

  • रक्षा मंत्रालय:
    सेवानिवृत्त सशस्त्र बल कर्मियों के लिए 25 लाख डीएलसी संसाधित।
  • रेलवे और केंद्रीय मंत्रालय:
    इन विभागों ने भी पेंशनभोगियों की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सफलता के कारण:

अभियान की सफलता में विभिन्न हितधारकों का योगदान अहम रहा, जिनमें शामिल हैं:

  • पेंशन वितरण बैंक और संघ।
  • रेल मंत्रालय और यूआईडीएआई।
  • डीडी न्यूज, आकाशवाणी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जागरूकता अभियान।

समावेशन और जागरूकता:

अभियान ने समावेशन को प्राथमिकता दी, ensuring that no pensioner was left behind.

  • रेडियो, टीवी, और सोशल मीडिया के माध्यम से 122 मिलियन लोगों तक पहुंच बनाई गई।
  • पेंशनभोगियों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की गई।

डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 3.0 ने दिखाया है कि कैसे तकनीकी नवाचार और समर्पित प्रयास पेंशनभोगियों के जीवन को सरल और सुरक्षित बना सकते हैं। यह पहल भारत में डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में एक और मजबूत कदम है।

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