गैस से राहत के लिए योग आसन: हाइपरएसिडिटी को कम करने के लिए 10 योग आसन
हाइपरएसिडिटी, एक सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या, दैनिक जीवन के लिए असुविधाजनक और विघटनकारी हो सकती है। जबकि हाइपरएसिडिटी को प्रबंधित करने के लिए आमतौर पर दवाओं का उपयोग किया जाता है, योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से प्राकृतिक राहत मिल सकती है। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है बल्कि शरीर के पाचन तंत्र को संतुलित करने में भी सहायक होता है।
इन आसनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपके पाचन स्वास्थ्य में काफी सुधार हो सकता है और हाइपरएसिडिटी से राहत मिल सकती है। हालाँकि, किसी भी नए व्यायाम को शुरू करने से पहले योग प्रशिक्षक या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है, खासकर यदि आपके पास अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां हैं।
हालाँकि योग चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है, यह पारंपरिक उपचारों का पूरक हो सकता है और हाइपरएसिडिटी से प्राकृतिक राहत प्रदान कर सकता है। इन योग आसनों का नियमित अभ्यास करके और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, आप बेहतर पाचन स्वास्थ्य और समग्र कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।
याद रखें कि हाइपरएसिडिटी से राहत के लिए योग के लाभ प्राप्त करने के लिए निरंतरता और उचित तकनीक महत्वपूर्ण है। हाइपरएसिडिटी से राहत पाने में आपकी मदद के लिए यहां हम दस प्रभावी योग आसनों के बारे में जानेंगे।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन (आधा स्पाइनल ट्विस्ट):
यह आसन पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है, जिससे हाइपरएसिडिटी को कम करने में मदद मिलती है। यह पेट को भी फैलाता है, जिससे असुविधा कम होती है।
पश्चिमोत्तानासन (बैठकर आगे की ओर झुकना):
यह आगे की ओर झुकने से पेट के अंगों की मालिश होती है, जिससे पाचन बेहतर होता है और एसिडिटी के लक्षण कम होते हैं।
भुजंगासन (कोबरा मुद्रा):
कोबरा आसन पेट की मांसपेशियों को फैलाता है, पाचन अंगों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और हाइपरएसिडिटी से राहत देता है।
धनुरासन (धनुष मुद्रा):
धनुष मुद्रा न केवल कोर को मजबूत करती है बल्कि पाचन अंगों की मालिश भी करती है, जिससे एसिडिटी और सूजन कम होती है।
पवनमुक्तासन (हवा से राहत देने वाली मुद्रा):
जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मुद्रा पाचन तंत्र में फंसी गैसों को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे सूजन और परेशानी कम होती है।
वज्रासन (वज्र मुद्रा):
भोजन के बाद वज्रासन का अभ्यास पेट पर हल्का दबाव डालकर पाचन में सहायता करता है, जिससे हाइपरएसिडिटी से बचाव होता है।
उत्तानासन (आगे की ओर झुकते हुए):
यह आसन पेट के क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देता है, जिससे एसिडिटी और अपच को कम करने में मदद मिलती है।
सर्वांगासन (कंधे का रुख):
सर्वांगासन जैसे उल्टे आसन थायरॉयड और पैराथायराइड ग्रंथियों में रक्त परिसंचरण में सुधार करते हैं, चयापचय को नियंत्रित करते हैं और अम्लता को कम करते हैं।
हलासन (हल मुद्रा):
यह आसन पेट के अंगों और थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करके पाचन में सहायता करता है, अंततः हाइपरएसिडिटी को नियंत्रित करने में मदद करता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम (नाक से वैकल्पिक श्वास):
अनुलोम-विलोम जैसे श्वास व्यायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं, तनाव से संबंधित एसिडिटी ट्रिगर को कम करते हैं।