हिंदी को स्थानीय भाषाओं का मित्र बनाया जाएगा: अमित शाह | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया



नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को कहा कि मोदी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि 2047 तक देश में सभी सरकारी प्रणालियाँ भारतीय भाषाओं में संचालित हों और हिन्दी सभी क्षेत्रीय भाषाओं का मित्र बनाया जाएगा।
आधिकारिक भाषा पर संसदीय समिति के सर्वसम्मति से दोबारा अध्यक्ष चुने गए शाह ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से हिंदी को बढ़ावा देना सरकार का उद्देश्य रहा है, लेकिन 2014 से मोदी सरकार के तहत इस प्रयास में बदलाव आया है, जो स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों केएम मुंशी और एनजी अयंगर के दृष्टिकोण का अनुसरण कर रही है, जिन्होंने हिंदी संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संविधानउन्होंने संकल्प लिया कि हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सहयोग से आगे बढ़ना होगा।
“समिति ने निरंतर प्रयास किया है कि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की मित्र बने तथा किसी से प्रतिस्पर्धा न करे। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी क्षेत्रीय भाषा को बोलने वाले को हीन भावना का सामना न करना पड़े तथा हिंदी को सर्वसम्मति व सहमति से धीरे-धीरे कामकाज की भाषा के रूप में स्वीकार किया जाए।” शाह उन्होंने यह टिप्पणी भाजपा पर लगाए गए हिंदी अंधराष्ट्रवाद के आरोप के संदर्भ में महत्वपूर्ण प्रतीत होती है।
मंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद यह बहुत जरूरी है कि देश पर देश की भाषा में शासन हो और सरकार ने इस संबंध में कई प्रयास किए हैं। पॉप गानेऔर शिक्षा विभाग के सहयोग से स्थानीय भाषाओं के हजारों शब्दों को हिंदी में जोड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे कई शब्द थे जिनके पर्यायवाची शब्द हिंदी में उपलब्ध नहीं थे, लेकिन अन्य भाषाओं के कई शब्दों को स्वीकार करके हमने न केवल हिंदी को समृद्ध और लचीला बनाया बल्कि उस भाषा और हिंदी के बीच के रिश्ते को भी मजबूत किया।’’
शाह ने कहा कि राजभाषा विभाग एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है जो तकनीकी आधार पर 8वीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं का स्वतः अनुवाद कर देगा। राजभाषा पर संसदीय समिति का गठन 1976 में राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4 के प्रावधानों के तहत किया गया था।





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