विश्वकर्मा जयंती: दिन मनाने के तरीके


विश्वकर्मा जयंती हिंदू माह भाद्रपद में मनाई जाती है।

विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में दिव्य वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से कारीगरों, इंजीनियरों, वास्तुकारों, यांत्रिकी और कारखाने के श्रमिकों सहित विभिन्न प्रकार के शिल्प कौशल से जुड़े लोगों द्वारा मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह आम तौर पर हर साल 17 या 18 सितंबर को पड़ता है।

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यह त्योहार भारत के उन क्षेत्रों में बहुत महत्व रखता है जहां शारीरिक श्रम और शिल्प कौशल अर्थव्यवस्था और संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का निर्माता और देवताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले दिव्य उपकरणों और मशीनों को बनाने वाला माना जाता है। इस प्रकार, उन्हें कारीगरों और शिल्पकारों के संरक्षक देवता के रूप में सम्मानित किया जाता है।

पर विश्वकर्मा जयंतीलोग विभिन्न अनुष्ठानों और समारोहों का आयोजन करके भगवान विश्वकर्मा को श्रद्धांजलि देते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:

  • पूजा और आराधना: भक्त अपनी कार्यशालाओं, औजारों और मशीनरी को साफ करते हैं और सजाते हैं। वे अपने कार्यस्थलों पर विस्तृत पूजा (पूजा) समारोह करते हैं, भगवान विश्वकर्मा को प्रार्थना, फूल और फल चढ़ाते हैं। भगवान विश्वकर्मा की विशेष मूर्तियां या चित्र स्थापित किए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है।
  • प्रसाद का वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद (पवित्र भोजन प्रसाद) तैयार किया जाता है और कार्यकर्ताओं और परिवार के सदस्यों के बीच वितरित किया जाता है। इसे भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद माना जाता है और माना जाता है कि इसका सेवन करने से समृद्धि और सफलता मिलती है।
  • कलात्मक रचनाएँ: इस दौरान कई कारीगर और शिल्पकार अपने कौशल और भक्ति का प्रदर्शन करते हुए भगवान विश्वकर्मा की जटिल मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ बनाते हैं। इन कृतियों को अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किया जाता है
  • जुलूस: कुछ क्षेत्रों में, भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियों और सजावटी रथों के साथ रंगीन जुलूस सड़कों पर निकाले जाते हैं। इन जुलूसों के दौरान भक्त भजन और भक्ति गीत गाते हैं।
  • सामुदायिक सभाएँ: यह त्यौहार सामुदायिक समारोहों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी एक अवसर है। शिल्पकार और श्रमिक अपने कौशल और शिल्प कौशल का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं, जिससे उनके काम में एकता और गर्व की भावना पैदा होती है।
  • समृद्धि के लिए प्रार्थना: बहुत से लोग अपने व्यवसायों और उद्यमों की सफलता और वृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवता का आशीर्वाद उनके काम के सुचारू संचालन और समृद्धि को सुनिश्चित करेगा।



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