'मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया हुआ था। फिर भीड़ ने हमें धक्का दिया… बाद में उसका बेजान शरीर मिला' | इंडिया न्यूज़ – टाइम्स ऑफ़ इंडिया


श्रीपाल सिंह, 52, अरनिया गांव के निवासी बुलंदशहरइसमें शामिल हुए सत्संग मंगलवार को अपनी दो बेटियों के साथ सूरजपाल सिंहउपनाम भोले बाबा'का आशीर्वाद, लेकिन उसके पहले से ही अंधेरे जीवन में एक दुःस्वप्न सामने आया।
श्रीपाल ने कहा, “मैं अपनी बेटी का हाथ पकड़कर हाईवे पार करने की कोशिश कर रहा था, तभी भीड़ ने हमें धक्का दे दिया और एक बाइक ने मुझे टक्कर मार दी। मैंने अपनी पकड़ खो दी और बाद में उसे 12 बेजान शवों के ढेर के नीचे मृत पाया। उसका आखिरी शब्द पीड़ा से भरा 'पापा' था।” श्रीपाल तब से आंशिक रूप से अंधे हैं, जब से उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई थी। दुर्घटना वर्ष 2007 में दिल्ली में एक रासायनिक फैक्ट्री में काम करते समय उनकी मृत्यु हो गई थी। वह बेरोजगार हैं, उनके पास घर नहीं है और परिवार के लिए हर दिन संघर्षपूर्ण है।





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