मुंबई लोकल ट्रेनों में लोगों को मवेशियों की तरह यात्रा करते देख शर्म आती है: हाईकोर्ट
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उसे यह देखकर शर्म आती है कि यात्रियों को मुंबई क्षेत्र की जीवन रेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनों में मवेशियों की तरह यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
भीड़भाड़ वाली ट्रेनों से गिरने या पटरियों पर अन्य दुर्घटनाओं के कारण यात्रियों की बढ़ती मौतों पर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि इस “बहुत गंभीर” मुद्दे से निपटा जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि वह मध्य और पश्चिमी रेलवे के शीर्ष अधिकारियों को जवाबदेह ठहराएगी, क्योंकि “मुंबई में स्थिति दयनीय है।”
यह जनहित याचिका यतिन जाधव द्वारा दायर की गई थी।
अदालत ने कहा, “पीआईएल में बहुत गंभीर मुद्दा उठाया गया है और इसलिए आपको (रेलवे अधिकारियों को) इसका समाधान करना होगा। आप यह नहीं कह सकते कि (शहर में) लोगों की बड़ी संख्या के कारण हम यह नहीं कर सकते या वह नहीं कर सकते। आप लोगों को मवेशियों की तरह ढोते हैं। जिस तरह से यात्रियों को यात्रा करने के लिए मजबूर किया जाता है, उससे हमें शर्म आती है।”
पीठ ने पश्चिमी और मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों (जीएम) को “पूरे मामले पर गौर करने” और जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि हलफनामों की महाप्रबंधकों द्वारा “व्यक्तिगत रूप से जांच” की जाएगी तथा “ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उपलब्ध तथा लागू उपायों का उल्लेख किया जाएगा।”
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह जनहित याचिका पर अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद करेगा।
याचिका के अनुसार, 2023 में 2,590 यात्रियों की मौत रेल पटरियों पर हुई, यानी हर दिन सात मौतें। इसी अवधि में 2,441 लोग घायल हुए।
मध्य रेलवे मार्ग पर दुर्घटनाओं में 1,650 लोग मारे गए, जबकि पश्चिमी रेलवे पर 940 लोग मारे गए।
पश्चिमी रेलवे की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सुरेश कुमार ने कहा कि रेलवे पटरियों के बीच बैरिकेड लगाने और हर स्टेशन पर दो या तीन फुट-ओवर-ब्रिज बनाने जैसे उपाय कर रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी रेलवे ने इस मुद्दे पर पहले दायर जनहित याचिका में पारित हाईकोर्ट के निर्देशों को लागू किया है।
पीठ ने पूछा, “लोगों की जान बचाने के लिए आपको केवल आदेशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हम सहमत हैं कि आपने उन निर्देशों का पालन किया है। लेकिन क्या आप इन मौतों को रोक पाए हैं? सवाल यह है कि क्या इससे (उपायों से) परिणाम मिले हैं? क्या आप मौतों को कम करने या रोकने में सक्षम हैं।”
कुमार ने बताया कि पश्चिम रेलवे उच्चतम संभव आवृत्ति पर सेवाएं चला रही है, तथा व्यस्त समय के दौरान हर 2-3 मिनट में ट्रेनें चल रही हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह यह सुझाव नहीं दे रहा है कि रेलवे ट्रेनों की संख्या या उनकी क्षमता बढ़ाए, लेकिन इसका समाधान तो ढूंढना ही होगा।
पीठ ने कहा, “इस बार हम उच्चतम स्तर के अधिकारियों को जवाबदेह बनाएंगे। मुंबई में स्थिति दयनीय है।”
इसमें कहा गया है, “आप (रेलवे) इस बात से खुश नहीं हो सकते कि आप प्रतिदिन 35 लाख लोगों को परिवहन कर रहे हैं। आप यह नहीं कह सकते कि मुंबई में लोगों की संख्या को देखते हुए आप अच्छा काम कर रहे हैं। आप यह कहकर भी पीछे नहीं हट सकते कि यहां बहुत अधिक लोग हैं। आपको अपनी मानसिकता बदलनी होगी। आपके अधिकारियों को इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के आवागमन से संतुष्ट होने की आवश्यकता नहीं है।”
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