महाराष्ट्र काउंटर OPS हलचल, श्रमिकों की आपूर्ति के लिए निजी एजेंसियों को चुनता है | मुंबई समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
राज्य के उद्योगों द्वारा जारी सरकारी संकल्प (जीआर) और श्रम मंत्रालय सभी सरकारी विभागों को कुशल और अकुशल श्रम आपूर्ति का निजीकरण करने को लेकर विपक्ष के निशाने पर आ गया है। में ऊपरी सदनविपक्ष ने विशेष चर्चा की मांग को लेकर हंगामा किया। जीआर ने कहा कि इसी तरह की एजेंसियों को 2014 में नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो गया था। एजेंसियों के चयन को राज्य कैबिनेट ने 8 मार्च, 2023 को मंजूरी दी थी।
नौ मानव संसाधन एजेंसियां अगले पांच वर्षों में 74 विभिन्न श्रेणियों के पदों पर कर्मचारियों की आपूर्ति करेंगी। उनके माध्यम से परियोजना अधिकारी, परियोजना सलाहकार, वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अभियंता, लेखा परीक्षक, जिला समन्वयक, विधि अधिकारी, अधीक्षक और शिक्षक जैसे पद भरे जाएंगे। यहां तक कि स्थानीय स्वशासन निकाय और सरकार के विभिन्न बोर्ड और निगम भी उनके माध्यम से भर्ती किए गए अर्ध-कुशल और अकुशल कर्मचारियों की भर्ती करते हैं। जीआर ने संकेत दिया कि इन कर्मचारियों के वेतन को हर साल संशोधित किया जाएगा और उन्हें चुनने वाली एजेंसियों के माध्यम से जारी किया जाएगा।
विपक्ष के नेता अजीत पवार ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि संविदा जनशक्ति का उपयोग 75,000 सरकारी पदों को भरने के लिए राज्य के चल रहे अभियान के खिलाफ है। पवार ने कहा, “पदों में से एक परियोजना निदेशक का है, जिसका वेतन 3.8 लाख रुपये प्रति माह है। वेतन मुख्य सचिव से अधिक है।” उन्होंने कहा, “सरकारी पदों को संविदा कर्मियों से भरना भी सरकारी गोपनीयता से समझौता करेगा।”
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि योजना के कार्यकाल के दौरान अनुमोदित किया गया था एमवीए सरकार और केवल शिंदे सरकार द्वारा लागू किया जा रहा था।
कांग्रेस एमएलसी भाई जगताप आरोप लगाया कि नौ कंपनियों में एक भाजपा के स्वामित्व वाली कंपनी शामिल है एमएलसी साथ ही इसमें अनियमितता का आरोप लगाया।
(चैतन्य मारपक्वार के साथ)