नोएडा का फर्जी कॉल सेंटर घोटाला: कैसे 2,500 रुपये में डेटा खरीदकर करोड़ों की धोखाधड़ी की गई
नई दिल्ली: पुलिस ने एक चौंकाने वाले खुलासे में नोएडा के एक फर्जी कॉल सेंटर से संचालित करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है। घोटालेबाजों ने महज 2,500 रुपये में ऑनलाइन फोन डेटा खरीदा और फिर उसका इस्तेमाल सैकड़ों लोगों को ठगने में किया।
यह गिरोह सेक्टर 51 के एक बाजार की चौथी मंजिल पर एक कॉल सेंटर से काम कर रहा था। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि शुक्रवार को अपराध प्रतिक्रिया दल (सीआरटी) और स्थानीय सेक्टर 49 पुलिस अधिकारियों के संयुक्त अभियान में उनका भंडाफोड़ हुआ।
मुख्य संदिग्ध और कार्यप्रणाली
मुख्य संदिग्धों की पहचान आशीष और जितेंद्र के रूप में हुई है। उन्होंने कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव के तौर पर नौ महिलाओं को काम पर रखा था। ये महिलाएं लोगों को फोन करके उन्हें फर्जी लोन और बीमा पॉलिसी बेचती थीं।
घोटालेबाजों ने 2019 में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के लिए काम करने के बाद अपनी धोखाधड़ी की गतिविधियां शुरू कीं। उन्होंने इंडिया मार्ट से सिर्फ 2,500 रुपये में लगभग 10,000 लोगों का डेटा खरीदा और ऋण और बीमा देने का नाटक करते हुए पूरे भारत में लोगों को कॉल करना शुरू कर दिया, जैसा कि एक पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया।
गिरोह एनसीआर से बाहर के राज्यों के लोगों को लोन और बीमा पॉलिसियों पर उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाता था। इसमें शामिल महिलाएं कमीशन के आधार पर आशीष और जितेंद्र की मदद करती थीं। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि महिलाओं को उनका हिस्सा नकद मिलता था।
उन्होंने कर्नाटक में अरविंद नाम के एक व्यक्ति से 10,000 रुपये प्रति माह के हिसाब से पीएनबी बैंक खाता किराए पर लिया। फिर मुख्य संदिग्धों ने इस खाते से जुड़े एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करके पैसे निकाल लिए।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आशीष ने सभी वित्तीय लेन-देन रिकॉर्ड करने के लिए एक काली डायरी रखी थी और अपने सहयोगियों के साथ उनके योगदान के आधार पर लाभ साझा करता था। यह योजना एक साल से अधिक समय से चल रही थी, जिससे करोड़ों रुपये कमाए गए। बरामद डायरी में यह सब दर्ज है।
आरोपी फर्जी आधार कार्ड से प्राप्त सिम कार्ड वाले मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे, जिसे वे विक्रेताओं से ऊंचे दामों पर खरीदते थे। इन सिम कार्ड का इस्तेमाल वे दिल्ली एनसीआर के बाहर के अनजान लोगों को निशाना बनाते हुए अपनी पहचान छिपाने के लिए करते थे।
पुलिस ने मुख्य संदिग्धों का नाम आशीष कुमार उर्फ अमित और जितेंद्र वर्मा उर्फ अभिषेक बताया है। उन्होंने नौ महिलाओं को भी गिरफ्तार किया है: निशा उर्फ स्नेहा, रीजू उर्फ दिव्या, लवली यादव उर्फ श्वेता, पूनम उर्फ पूजा, आरती कुमारी उर्फ अनन्या, काजल कुमारी उर्फ सुरती, सरिता उर्फ सुमन, बबीता पटेल उर्फ माही और गरिमा चौहान उर्फ सोनिया।
इस मामले में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपियों को स्थानीय मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।