“निशानों को चित्रित करने” का मतलब यह नहीं है कि चीन ने हमारी भूमि पर अतिक्रमण किया है: किरेन रिजिजू
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा घुसपैठ की खबरों के बीच केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि अनिर्धारित स्थानों पर केवल चिह्नांकन करने का मतलब यह नहीं है कि उन क्षेत्रों पर अतिक्रमण किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले किरेन रिजिजू ने यह भी कहा कि भारत-चीन सीमा पर अनिर्धारित क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सेनाओं द्वारा गश्त की ओवरलैपिंग होती है, लेकिन इससे भारतीय क्षेत्र पर अतिक्रमण नहीं होता है।
केंद्रीय मंत्री की यह टिप्पणी उन खबरों के बीच आई है जिनमें कहा गया है कि पीएलए ने पिछले सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में भारतीय क्षेत्र में कथित रूप से प्रवेश किया था और वे कुछ समय से जिले के कपापु इलाके में डेरा डाले हुए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घटनास्थल पर जलती हुई आग, चट्टानों पर चित्रकारी और चीनी खाद्य सामग्री की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं।
किरण रिजिजू ने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, “चीन हमारी जमीन नहीं ले सकता। अनिर्धारित क्षेत्रों में गश्त की ओवरलैपिंग होती है। उन्हें कोई स्थायी निर्माण करने की अनुमति नहीं है। हमारी तरफ से कड़ी निगरानी है। अनिर्धारित स्थानों पर केवल निशान बना देने का मतलब यह नहीं है कि उन क्षेत्रों पर अतिक्रमण कर लिया गया है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सीमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और यह जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम किसी को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास आने की इजाजत नहीं देंगे।’’
यह ताजा घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना और पीएलए के बीच लद्दाख में अप्रैल 2020 से गतिरोध जारी है।
भारत चीन के साथ लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) साझा करता है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश “हमेशा” उसका क्षेत्र रहा है, जिसे भारत ने “बेतुका” और “हास्यास्पद” करार दिया है।
चीन, जो अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कहता है, अपने दावों को उजागर करने के लिए भारतीय नेताओं के राज्य के दौरे पर नियमित रूप से आपत्ति जताता है। बीजिंग ने इस क्षेत्र का नाम जांगनान भी रखा है।
भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के क्षेत्रीय दावों को बार-बार खारिज करते हुए कहा है कि यह राज्य देश का अभिन्न अंग है।
नई दिल्ली ने क्षेत्र को “मनगढ़ंत” नाम देने के बीजिंग के कदम को भी खारिज कर दिया है और कहा है कि इससे वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा।
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित किया गया है।)