छाया मंत्रिमंडल के साथ नवीन पटनायक ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए


ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, जो अब राज्य के विपक्ष के नेता हैं, ने सत्तारूढ़ भाजपा और उसके मुख्यमंत्री मोहन माझी पर नज़र रखने और उनसे निपटने के लिए एक छाया मंत्रिमंडल का गठन किया है। यह कदम राज्य विधानसभा के बजट सत्र से पहले उठाया गया है, जो अगले सोमवार से शुरू होने वाला है।

50 सदस्यीय ब्रिटिश शैली का छाया मंत्रिमंडल श्री पटनायक के शुरुआती अनुभवों को प्रतिबिंबित करता है, जिन्होंने राजनीति से पहले अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन में बिताया था।

छाया मंत्रिमंडल के सदस्य अधिकतर उनकी सरकार के पूर्व मंत्री हैं, जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वे प्रत्येक मंत्री और उसके विभाग पर नजर रखें तथा उन क्षेत्रों में वैकल्पिक योजनाएं और नीतियां तैयार करें जहां सरकार की ओर से चूक हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी दल जनता के हितों का संरक्षक है। राज्य विधानसभा में विपक्षी दल की महत्वपूर्ण भूमिका है।’’

बीजद की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में श्री पटनायक के हवाले से कहा गया कि विधायक उन्हें सौंपे गए विभागों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे और राज्य विधानसभा में उन विभागों पर चर्चा के दौरान सक्रिय रूप से भाग लेंगे। वे लोगों के हितों की रक्षा के लिए काम करेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री का यह कदम न केवल विपक्ष में रहकर उनकी सक्रिय भूमिका को रेखांकित करता है, बल्कि यह कई लोगों की उस धारणा को भी खारिज करता है कि बीजू जनता दल अब राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो जाएगा।

हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में बीजेडी 24 साल बाद सत्ता से बाहर हो गई। भाजपा ने 147 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें जीतकर नवीन पटनायक की सरकार को उखाड़ फेंका। बीजेडी को 51 सीटें मिलीं।

कुछ दिनों बाद, जब श्री पटनायक को राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया, तो बीजद ने संकेत दिया कि वह गंभीर है।

राज्यसभा में भाजपा की मित्र पार्टी ने कहा कि उसके सांसद केवल मुद्दों पर बोलने तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि यदि केंद्र की भाजपा नीत सरकार “ओडिशा के हितों की अनदेखी” करती है तो वे आंदोलन करेंगे।

पार्टी पहले ही एनईईटी मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़ी हो चुकी है और यहां तक ​​कि संसद में वॉकआउट भी कर चुकी है।



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