छत्तीसगढ़ के पिड़िया गांव में 10 ग्रामीणों को गोली मारी गई, आदिवासी कार्यकर्ताओं ने फर्जी मुठभेड़ का दावा किया | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया



रायपुर: आदिवासी कार्यकर्ता सोमवार को उन्होंने फर्जी मुठभेड़ का आरोप दोहराया। पिडिया गांव और दावा किया कि मारे गए 12 में से 10 सुरक्षा बल 10 मई को हुई हिंसा में निर्दोष ग्रामीण शामिल थे, जिनमें दो 'अतिथि' भी शामिल थे।
कार्यकर्ताओं के अनुसार छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलनतेंदू पत्ता इकट्ठा करते समय सुरक्षा बलों ने ग्रामीणों का पीछा कर उन्हें मार डाला।उन्होंने दावा किया कि 15 वर्षीय एक लड़के सहित छह ग्रामीण घायल हो गए तथा पुलिस ने 50 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें से कुछ को गिरफ्तार भी कर लिया गया।
पुलिस ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि पिड़िया में मारे गए लोग माओवादियोंइनमें से कई पर इनाम भी था। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मुठभेड़ के लिए सुरक्षा बलों की प्रशंसा करते हुए उनका समर्थन किया है। इस बीच माओवादियों ने स्वीकार किया है कि पीड़िया में मारे गए दो लोग – पुनेम कल्लू और उइका बुधु – पीएलजीए के कार्यकर्ता थे और बीमारी से उबरने के लिए गांव गए थे।
कार्यकर्ताओं ने एक बयान में कहा, “एक तरफ मुख्यमंत्री माओवादियों के साथ बातचीत की वकालत कर रहे हैं और दूसरी तरफ वे सुरक्षा बलों की सराहना करते हैं और निर्दोष नागरिकों की हत्या को नजरअंदाज करते हैं। ऐसे माहौल में बातचीत संभव नहीं है। एक भी निर्दोष व्यक्ति की हत्या एक गंभीर घटना है और हम सरकार से मांग करते हैं कि वह यह सुनिश्चित करे कि बस्तर में सुरक्षा बलों द्वारा किसी भी निर्दोष, निहत्थे व्यक्ति की हत्या न हो।”
रायपुर में एक प्रेस वार्ता में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने आरोप लगाया कि सरकार ने अनेक शिकायतों का जवाब नहीं दिया है, जिससे “बस्तर के गांवों में भय का माहौल पैदा हो रहा है।”
उन्होंने कहा, “किसी भी निहत्थे व्यक्ति की हत्या करना गलत है, चाहे वह माओवादी नेता ही क्यों न हो।” भाटिया ने कहा, “सुरक्षा बलों को केवल आत्मरक्षा में ही गोली चलानी चाहिए, लेकिन वे केवल माओवादी होने के संदेह पर लोगों की हत्या कर रहे हैं, जो कि अवैध है।”
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज ने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को लिखा है कि ग्रामीणों ने कांग्रेस की तथ्यान्वेषी समिति को बताया कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी। बैज ने अपने पत्र में कहा, “जब गवाह और ग्रामीण फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगा रहे हैं, तो सरकार को इसकी जांच करने से कौन रोक रहा है? हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच से तस्वीर साफ हो जाएगी। कांग्रेस बस्तर में शांति बहाल करने के लिए भी उतनी ही चिंतित है, लेकिन निर्दोष ग्रामीणों की कीमत पर नहीं।” उन्होंने कहा, “आदिवासी कभी झूठ नहीं बोलते और अगर स्थानीय लोग यह आरोप लगा रहे हैं, तो जांच की उम्मीद की जानी चाहिए।”
जवाब में शर्मा ने कहा कि जिन लोगों को 'निर्दोष' करार दिया गया है, उन पर हत्या और हत्या के प्रयास के मामले दर्ज किये गये हैं।





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