गुलाम जम्मू कश्मीर वापस लेने को देश एक मत : राजनाथ का पाकिस्तान को सन्देश

ऐसा कैसे हो सकता है के अमरनाथ हमारे पास हो और माँ शारदा पाकिस्तान में हों | – राजनाथ

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर जम्मू से पाकिस्तान को स्पष्ट सन्देश देते हुए कहा है ।  भारत की संसद में प्रस्ताव पारित हुआ था। ‘पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा था, भारत का हिस्सा है और रहेगा। ये कैसा हो सकता है कि शिव के स्वरूप बाबा अमरनाथ हमारे यहां हों और मां शारदा शक्ति स्वरूपा LoC के पार हों।’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले जम्मू में कारगिल विजय दिवस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे हैं।

राजनाथ ने कहा कि आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का ये पूरा इलाका ‘मेन वॉर थिएटर’ बना हुआ है। आजादी के बाद से ही इस पूरे इलाके पर दुश्मनों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई थी लेकिन भारतीय सेनाओं ने अपने पराक्रम और बलिदान के परिणास्वरूप दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम किया।

कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों के बीच मौजूद रहे.  कारगिल वाॅर मेमोरियल में 24 से 26 जुलाई तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा. उन्होंने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा, ‘देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को हम आज याद कर रहे हैं. हमारी सेना ने हमेशा देश के लिए यह सर्वोच्च बलिदान दिया है. 1999 के युद्ध में हमारे कई वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी, मैं उन्हें नमन करता हूं.’।

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में ब्रिगेडियर उस्मान का जिक्र भी किया. उन्होंने जम्मू.कश्मीर के मौजूदा स्वरूप को बनाए रखने में सेना के योगदान की तारीफ की. आपको बता दें कि कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, क्योंकि साल 1999 में इसी दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की थी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कारगिल दिवस के मौके पर जम्मू में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों के परिजनों से भी मुलाकात की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा, ‘1962 में चीन ने लद्दाख में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. तब पंडित नेहरू हमारे देश के प्रधानमंत्री थे. मैं उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठाऊंगा. इरादे अच्छे हो सकते हैं, लेकिन यह नीतियों पर लागू नहीं होता है. मैं भी एक विशेष राजनीतिक दल से आता हूं, लेकिन मैं भारत के किसी भी प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं करना चाहता. किसी की नीतियों को लेकर तो हम आलोचना कर सकते हैं, लेकिन किसी की नीयत को लेकर सवाल नहीं उठा सकते.  हालांकि, आज का भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है.’।