'क्या मुझे कोलकाता बलात्कार के आरोपी को ज़मानत देनी चाहिए?' सीबीआई वकील की अनुपस्थिति पर कोर्ट ने पूछा
कोलकाता:
कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई के जांच अधिकारी की अनुपस्थिति और एजेंसी के वकील के आने में 40 मिनट की देरी से शहर की एक नाराज़ अदालत ने सवाल उठाया कि क्या उसे मुख्य आरोपी को ज़मानत देनी चाहिए। अदालत ने एजेंसी की खिंचाई भी की और कहा कि यह उसके “सुस्त रवैये” को दर्शाता है।
अदालत में हुए घटनाक्रम के बाद तृणमूल कांग्रेस ने सीबीआई और भाजपा पर हमला बोला है। इस जघन्य अपराध से निपटने के तरीके को लेकर तृणमूल कांग्रेस आलोचनाओं का सामना कर रही है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि “न्याय को नुकसान पहुंचाने” के प्रयास किए जा रहे हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच को कोलकाता पुलिस से एजेंसी को सौंप दिया गया था।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तार नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय की जमानत याचिका पर शुक्रवार दोपहर सुनवाई करते हुए सियालदह अदालत के मजिस्ट्रेट ने कहा कि सीबीआई के जांच अधिकारी सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं थे।
जब रॉय के वकील ने जमानत के लिए दलीलें पेश कीं, तो अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पामेला गुप्ता को बताया गया कि सरकारी वकील देर से आएंगे। जब वकील का इंतजार जारी रहा, तो मजिस्ट्रेट ने टिप्पणी की, “क्या मुझे संजय रॉय को जमानत दे देनी चाहिए? यह सीबीआई की ओर से बेहद सुस्त रवैये को दर्शाता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
वकील आखिरकार करीब 40 मिनट देरी से पहुंचे, जिससे बचाव पक्ष के वकील ने भी देरी का मुद्दा उठाया। इसके बाद बहस जारी रही और दोनों पक्षों को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट ने रॉय को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अदालत में जो कुछ हुआ, उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह “न्याय के प्रति घोर उपेक्षा” को दर्शाता है।
तृणमूल कांग्रेस की नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, “अदालत नाराज हो गई, इंतजार करती रही, फिर भी कोई नहीं आया। हम पूछना चाहते हैं कि क्या हुआ। विपक्ष इस पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं दे रहा है? सीबीआई को जांच का जिम्मा संभाले 24 दिन और 570 घंटे से अधिक समय हो गया है, नतीजा क्या रहा? पूरा देश पूछ रहा है। इससे पता चलता है कि सीबीआई मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है…”
एक्स पर दो अलग-अलग पोस्ट में तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा और सीपीएम पर भी निशाना साधा।
पार्टी के हैंडल से पोस्ट किया गया, “आज आरजी कर मामले की सुनवाई के दौरान, सीबीआई मुख्यालय के जांच अधिकारी और सरकारी वकील गायब हो गए। क्या यह पीड़िता का अपमान नहीं है? न्याय के प्रति घोर उपेक्षा? जवाबदेही की मांग कहां है? क्या @BJP4India और @CPIM_WESTBENGAL ने अपनी आवाज खो दी है?”
एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “24 दिनों तक टालमटोल करने के बाद, सीबीआई मुख्यालय ने आरजी कार मामले की सुनवाई के लिए अपने जांच अधिकारी या लोक अभियोजक को भेजने की भी जहमत नहीं उठाई। यह न्याय को नुकसान पहुंचाने जैसा है!” साथ ही कहा कि सीबीआई को “अपने कदम पीछे खींचने” बंद कर देने चाहिए और भाजपा को इसके खिलाफ विरोध मार्च निकालना चाहिए।
प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल में बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। उसका शव 9 अगस्त को मिला था। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का समय सुबह 3 से 5 बजे के बीच बताया गया है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि उसकी गला दबाकर हत्या करने से पहले उस पर कई चोटें पहुंचाई गई थीं।