'उंगलियां काट दी जाएंगी' बनाम 'गोलियां चलाई जाएंगी': कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले पर बंगाल की कटु राजनीतिक जंग सुप्रीम कोर्ट में गूंजी | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया


नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या को लेकर कटु राजनीतिक बयानबाजी की गूंज रविवार को यहां भी सुनाई दी। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को शीर्ष अदालत ने पार्टियों से इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने को कहा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “इसका राजनीतिकरण न करें…” वकीलों ने शीर्ष अदालत में राजनीतिक विभाजन के दोनों पक्षों के नेताओं द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों का उल्लेख किया।
पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कोई भी स्थिति का फायदा न उठा सके, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा स्थिति रिपोर्ट और हलफनामा पहले ही दायर किया जा चुका है। इसके बाद सिब्बल ने तीन न्यायाधीशों की पीठ से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कोई भड़काऊ बयान न दिया जाए, क्योंकि अब जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की जा रही है।
हालांकि, सिब्बल की टिप्पणी पर तुरंत जवाब आया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एक मंत्री द्वारा दिए गए बयान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमारे पास पश्चिम बंगाल के मौजूदा मंत्री का बयान है जिसमें कहा गया है कि अगर कोई हमारे नेता के खिलाफ कुछ भी कहता है, तो उसकी उंगलियां काट दी जाएंगी।” उन्होंने कहा, “किसी को भी कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।”
इस पर कपिल सिब्बल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “इसके बाद मैं पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता का बयान पढ़ूंगा।” सुवेन्दु अधिकारी उन्होंने कहा था कि गोलियां चलेंगी।

शीर्ष वकीलों के बीच हुए हमलों और जवाबी हमलों के बाद सीजेआई ने राजनीतिक दलों से इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “पार्टियों को यह समझना होगा…इसका राजनीतिकरण न करें…कानून अपना काम करेगा और हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कानून अपना काम करेगा।”
सीजेआई ने आगे कहा कि शीर्ष अदालत भविष्य में भी डॉक्टरों के कल्याण और सुरक्षा के मुद्दे पर संवेदनशील है। सीजेआई ने कहा, “हम सिर्फ दिशा-निर्देश नहीं दे रहे हैं, बल्कि हम सरकारों को लागू करने के निर्देश भी दे रहे हैं।”
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच जूनियर डॉक्टर पर क्रूर हमले और हत्या को लेकर तीखी नोकझोंक हुई है। पीड़ित का शव सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में गंभीर चोटों के निशान के साथ मिला था। आरजी कर अस्पताल9 अगस्त की सुबह को कोलकाता के चेस्ट डिपार्टमेंट में एक व्यक्ति की मौत हो गई। अगले दिन इस मामले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया। हालांकि, 13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया, जिसने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा राज्य भर में विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रही है। ममता बनर्जीइसने इस भयावह घटना पर कुछ न बोलने के लिए विपक्ष के भारत ब्लॉक पर भी निशाना साधा है।
हालांकि, कांग्रेस ने भी न्याय और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर शहर में प्रदर्शन आयोजित किए। राहुल गांधी ने भी मामले को संभालने के तरीके की आलोचना की और कहा कि इसने “अस्पताल और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।” उनकी टिप्पणी की टीएमसी ने तीखी आलोचना की और उसके नेता कुणाल घोष ने सिद्धारमैया पर कटाक्ष किया।
इस घटना पर भारी आक्रोश के बाद बैकफुट पर आई ममता ने पहले आरोप लगाया था कि वामपंथ (वाम) पश्चिम बंगाल में अशांति पैदा करने के लिए राम (भारतीय जनता पार्टी) के साथ मिलीभगत कर रहा है। उनकी टिप्पणी पर सभी राजनीतिक दलों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई थी।





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