“आपका कर्तव्य…”: बंगाल के 'महिलाओं के लिए रात्रि पाली निषिद्ध' नोट पर मुख्य न्यायाधीश
नई दिल्ली:
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने आज पश्चिम बंगाल सरकार की उस अधिसूचना की आलोचना की जिसमें कहा गया है कि सरकारी अस्पताल महिला डॉक्टरों को रात्रि पाली आवंटित करने से बचेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें सुरक्षा प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर की बलात्कार-हत्या के मद्देनजर जारी अधिसूचना में संशोधन करने के लिए बंगाल सरकार को निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप यह कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? महिला डॉक्टरों पर सीमाएं क्यों लगाई जा रही हैं? वे रियायत नहीं चाहतीं…महिलाएं एक ही शिफ्ट में काम करने के लिए तैयार हैं।”
मुख्य न्यायाधीश ने ममता बनर्जी सरकार के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को संबोधित करते हुए कहा, “श्री सिब्बल आपको इस पर गौर करना होगा, इसका उत्तर यह है कि आपको सुरक्षा देनी होगी। पश्चिम बंगाल को अधिसूचना को सही करना चाहिए, आपका कर्तव्य सुरक्षा प्रदान करना है, आप यह नहीं कह सकते कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं। पायलट, सेना आदि सभी रात में काम करते हैं।”
अदालत ने कहा कि महिला डॉक्टरों के रात में काम न करने की स्थिति उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। इसके बाद श्री सिब्बल ने जवाब दिया कि संबंधित धारा को हटा दिया जाएगा।
आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या की घटना को लेकर देशव्यापी विरोध के बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रमुख सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने महिला डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नई पहल की घोषणा की।
श्री बंद्योपाध्याय ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में स्थानीय पुलिस द्वारा नियमित रात्रि गश्त की व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने कहा, “शिफ्टों की व्यवस्था इस प्रकार की जाएगी कि रात्रि ड्यूटी के मामले में महिला डॉक्टर जोड़े में काम कर सकें।” उन्होंने कहा कि निजी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों को भी इन दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा गया है।