अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स मामले में जांच एजेंसी का शिकंजा


फाइल फोटो

चंडीगढ़:

सूत्रों ने आज बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) से दिसंबर 2021 के ड्रग्स मामले में जांच की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है, जो शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है।

श्री मजीठियापंजाब के पूर्व मंत्री पर दिसंबर 2021 में इस मामले में आरोप लगाए गए और जनवरी 2022 में उन्हें जेल भेज दिया गया। वह फिलहाल अगस्त 2022 से जमानत पर बाहर हैं। उनके खिलाफ यह कार्रवाई 2018 की एक रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। नशीली दवाओं के खिलाफ विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने पंजाब में ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ किया है।

पता चला है कि जांच एजेंसी ईडी ने एसआईटी की रिपोर्ट का संज्ञान लिया है और जांच की स्थिति, एफआईआर और गवाहों के बयानों के बारे में ब्योरा मांगा है।

ईडी ने उनके परिवार की कंपनियों और सदस्यों के 284 बैंक खातों और आयकर रिटर्न का ब्योरा भी मांगा है। केंद्रीय एजेंसी ने विभिन्न भूमि सौदों के बारे में जानकारी और एक वित्तीय विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी मांगी है।

48 वर्षीय श्री मजीठिया लंबे समय से कहते रहे हैं कि उनके खिलाफ मामले राजनीति से प्रेरित हैं तथा उनका कहना है कि उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी पहले ही उनकी जांच कर चुके हैं।

राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार से आने वाले अकाली नेता ने 2007 के पंजाब विधानसभा चुनावों में मजीठिया निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 2012 और 2017 में भी इस सीट को बरकरार रखा।

आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा 2022 में पंजाब में भारी जीत हासिल करने के बाद वह अमृतसर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से हार गए।

श्री मजीठिया, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के बहनोई हैं, 2007 से 2017 के बीच अकाली दल सरकारों में मंत्री रहे हैं।



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