रतन टाटा के करीबी शांतनु नायडू का नया सफर: बुकीज़ प्रोजेक्ट का जयपुर में आगाज़
रतन टाटा के प्रबंधक और विश्वासपात्र शांतनु नायडू ने अपने जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत की है। टाटा समूह के दिवंगत दिग्गज की प्रेरणा और मार्गदर्शन से प्रेरित होकर, शांतनु अब अपने जुनूनी प्रोजेक्ट बुकीज़ का विस्तार कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य लोगों के बीच पढ़ने की आदत को फिर से जीवंत करना है।
मुंबई से जयपुर तक बुकीज़ का सफर
बुकीज़ की शुरुआत मुंबई से हुई थी और इसे पुणे और बेंगलुरु में भी सराहा गया। अब, यह प्रोजेक्ट जयपुर में लॉन्च होने जा रहा है। जयपुर के पुस्तक प्रेमियों के लिए 8 दिसंबर को एक खास रीडिंग इवेंट आयोजित किया जाएगा। लिंक्डइन पर इस लॉन्च की घोषणा करते हुए शांतनु ने लिखा, “जयपुर, अब आपका वक्त आ गया है। हम 8 तारीख को जयपुर बुकीज़ में आपसे मिलने के लिए उत्साहित हैं! साइन-अप करें और इस खास अनुभव का हिस्सा बनें।”
अगले कदम: दिल्ली, कोलकाता और अहमदाबाद
शांतनु का लक्ष्य बुकीज़ को देशभर में फैलाना है। उनकी योजना दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में जल्द ही प्रोजेक्ट लॉन्च करने की है। इससे पहले उन्होंने बेंगलुरु में एक सफल इवेंट आयोजित किया था, जिसमें लोगों ने पढ़ने के महत्व पर चर्चा की।
पढ़ने की अहमियत पर जोर
शांतनु का मानना है कि आधुनिक डिजिटल युग में पढ़ने की आदत कम हो गई है। एक इवेंट में उन्होंने कहा, “बुकीज़ का उद्देश्य पढ़ने की आदत को फिर से जीवन में लाना है। पढ़ाई हमारे मानसिक विकास और अनुभव के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन आज यह पीछे छूट रही है।” उन्होंने इसे आज के दौर की छोटी ध्यान अवधि (attention span) से जोड़ते हुए कहा, “लोग अब 3 मिनट की रील भी पूरी नहीं देख पाते, और पढ़ने से दूरी बढ़ती जा रही है।”
रतन टाटा की वसीयत में मिला मार्गदर्शन
रतन टाटा के साथ शांतनु की दोस्ती एक मिसाल रही। उनकी वसीयत में शांतनु को उनके स्टार्टअप गुडफेलोज़ की हिस्सेदारी और उनकी शिक्षा से जुड़ी आर्थिक मदद दी गई। यह दिवंगत उद्योगपति के उनके प्रति अटूट विश्वास और मार्गदर्शन को दर्शाता है।
शांतनु ने रतन टाटा के निधन पर एक भावुक संदेश साझा किया था, “इस दोस्ती ने मेरे जीवन में जो शून्य छोड़ा है, मैं अपना शेष जीवन इसे भरने की कोशिश में बिताऊंगा। अलविदा, मेरे प्रिय प्रकाशस्तंभ।”
निष्कर्ष
शांतनु नायडू का बुकीज़ प्रोजेक्ट एक ऐसा प्रयास है, जो पढ़ने के महत्व को फिर से स्थापित करने के साथ-साथ रतन टाटा की विरासत को भी आगे बढ़ा रहा है। जयपुर में इसका आगाज एक नई उम्मीद लेकर आया है, जो देशभर में पुस्तक प्रेमियों को जोड़ने का काम करेगा।